Skip to main content

Posts

Use of turmeric in Astro Tantra,Mantra

Taste your Life do not waste your life

Lingastakam

ब्रह्ममुरारिसुरार्चित लिगं निर्मलभाषितशोभित लिंग | जन्मजदुःखविनाशक लिंग तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥ मैं उन सदाशिव लिंग को प्रणाम करता हूँ जिनकी ब्रह्मा, विष्णु एवं देवताओं द्वारा अर्चना की जाति है, जो सदैव निर्मल भाषाओं द्वारा पुजित हैं तथा जो लिंग जन्म-मृत्यू के चक्र का विनाश करता है (मोक्ष प्रदान करता है) देवमुनिप्रवरार्चित लिंगं, कामदहं करुणाकर लिंगं| रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥ देवताओं और मुनियों द्वारा पुजित लिंग, जो काम का दमन करता है तथा करूणामयं शिव का स्वरूप है, जिसने रावण के अभिमान का भी नाश किया, उन सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ। सर्वसुगंन्धिसुलेपित लिंगं, बुद्धिविवर्धनकारण लिंगं| सिद्धसुरासुरवन्दित लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥ सभी प्रकार के सुगंधित पदार्थों द्वारा सुलेपित लिंग, जो कि बुद्धि का विकास करने वाल है तथा, सिद्ध- सुर (देवताओं) एवं असुरों सबों के लिए वन्दित है, उन सदाशिव लिंक को प्रणाम। कनकमहामणिभूषित लिंगं, फणिपतिवेष्टितशोभित लिंगं| दक्षसुयज्ञविनाशन लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥ स्वर्ण एवं महामणियों से विभूषित, एवं सर्पों के स्वामी से

Jai Shri Ganipati Deva

॥ श्री गणपत्यथर्वशीर्ष ॥ ॥ शान्ति पाठ ॥ ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः । भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ॥ स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिः । व्यशेम देवहितं यदायुः ॥ ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ॥ स्वस्तिनस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ तन्मामवतु तद् वक्तारमवतु अवतु माम् अवतु वक्तारम् ॐ शांतिः । शांतिः ॥ शांतिः॥। ॥ उपनिषत् ॥ ॥हरिः ॐ नमस्ते गणपतये ॥ त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि। त्वमेव केवलं कर्ताऽसि। त्वमेव केवलं धर्ताऽसि। त्वमेव केवलं हर्ताऽसि। त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि। त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम् ॥ गणपति को नमस्कार है, तुम्हीं प्रत्यक्ष तत्त्व हो, तुम्हीं केवल कर्त्ता, तुम्हीं केवल धारणकर्ता और तुम्हीं केवल संहारकर्ता हो, तुम्हीं केवल समस्त विश्वरुप ब्रह्म हो और तुम्हीं साक्षात् नित्य आत्मा हो। ॥ स्वरूप तत्त्व ॥ ऋतं वच्मि (वदिष्यामि)॥ सत्यं वच्मि (वदिष्यामि)॥ यथार्थ कहता हूँ। सत्य कहता हूँ। अव त्वं माम् । अव वक्तारम् । अव श्रोतारम् । अव दातारम् । अव धातारम् । अवानूचानमव शिष्यम् । अव पश्चात्तात् । अव पुरस्तात् । अवोत्तरात्तात

Rashi mantra

Tension free life

How to earn Punya