बड़े बड़े लच्छेदार भाषण करना आगया तो क्या उसे आत्म-ज्ञान हो जाएगा ? धारा-प्रवाह प्रवचन देना आजाए तो क्या यह समझ लेना चाहिए की इनको आत्मज्ञान होगया? अरे साहब बड़ा नाम है इनका, क्या बोलते है वाह! क्या ज्ञान है! इनको , अरे जनता पागल हो जाती है इनके पीछे जब यह बोलते है,, ऐसी बोलने की कला बड़ी मेहनत से सीखी होगी इनहोने, इन पर तो भगवान की कृपा है तभी ऐसा प्रभाव सामने वाले पर पड़ता है की वो अंदर से हिल जाता है ..... मगर यह एक कला तो हो सकती है ये योग्यता तो हो सकती है ये मेहनत तो हो सकती है मगर यह आत्म-ज्ञान का पैमाना नहीं है। अब आइये बड़े बड़े मेधावान की बात करते है तर्क-वितर्क, ज्ञान-विज्ञान, हाजिर जबाबी ये सब तो आजाएगा मगर ये सोचा जाये की भई बड़ा बुद्धिमान है ये आत्म तत्व को तो जानता ही होगा ..... तो यह भी पैमाना गलत होगा । जिसने बहुत बहुत शास्त्र सुने है दसियों वर्ष हो गए तो भी आत्म ज्ञान प्राप्त हो यह जरूरी नहीं है आत्म-ज्ञान तो उसे प्राप्त होगा जिस पर प्रभु की कृपा होगी जिसे वो देना चाहेगा उसे मिलेगा यही अकाट्य सत्य है हम अपनी योग्यता के गर्व से भौतिक ऊंचाई तो प्राप्त कर सकते है मगर हम खुद क्य...
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