सनातन धर्म के ये दस अंग है जिनके विना धर्म अपूर्ण है...
धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः ।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो , दशकं धर्म लक्षणम् ॥ ( मनु स्मृ्ति)
1. धृति = धैर्य ,
2. क्षमा = दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना ,
3. दम = अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना ,
4. अस्तेय = चोरी न करना,
5. पवित्रता = अन्दर बाहर की पवित्रता,
6. इन्द्रिय निग्रहः = इन्द्रियों को वश मे रखना,
7. धी = बुद्धिमत्ता का प्रयोग ,
8. विद्या = अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा ,
9.सत्य = मन वचन कर्म से सत्य का पालन
10अक्रोध = क्रोध न करना; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।
धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः ।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो , दशकं धर्म लक्षणम् ॥ ( मनु स्मृ्ति)
1. धृति = धैर्य ,
2. क्षमा = दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना ,
3. दम = अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना ,
4. अस्तेय = चोरी न करना,
5. पवित्रता = अन्दर बाहर की पवित्रता,
6. इन्द्रिय निग्रहः = इन्द्रियों को वश मे रखना,
7. धी = बुद्धिमत्ता का प्रयोग ,
8. विद्या = अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा ,
9.सत्य = मन वचन कर्म से सत्य का पालन
10अक्रोध = क्रोध न करना; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।