Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2014

Use of turmeric in Astro Tantra,Mantra

Taste your Life do not waste your life

Lingastakam

ब्रह्ममुरारिसुरार्चित लिगं निर्मलभाषितशोभित लिंग | जन्मजदुःखविनाशक लिंग तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥ मैं उन सदाशिव लिंग को प्रणाम करता हूँ जिनकी ब्रह्मा, विष्णु एवं देवताओं द्वारा अर्चना की जाति है, जो सदैव निर्मल भाषाओं द्वारा पुजित हैं तथा जो लिंग जन्म-मृत्यू के चक्र का विनाश करता है (मोक्ष प्रदान करता है) देवमुनिप्रवरार्चित लिंगं, कामदहं करुणाकर लिंगं| रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥ देवताओं और मुनियों द्वारा पुजित लिंग, जो काम का दमन करता है तथा करूणामयं शिव का स्वरूप है, जिसने रावण के अभिमान का भी नाश किया, उन सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ। सर्वसुगंन्धिसुलेपित लिंगं, बुद्धिविवर्धनकारण लिंगं| सिद्धसुरासुरवन्दित लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥ सभी प्रकार के सुगंधित पदार्थों द्वारा सुलेपित लिंग, जो कि बुद्धि का विकास करने वाल है तथा, सिद्ध- सुर (देवताओं) एवं असुरों सबों के लिए वन्दित है, उन सदाशिव लिंक को प्रणाम। कनकमहामणिभूषित लिंगं, फणिपतिवेष्टितशोभित लिंगं| दक्षसुयज्ञविनाशन लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥ स्वर्ण एवं महामणियों से विभूषित, एवं सर्पों के स्वामी से...

Jai Shri Ganipati Deva

॥ श्री गणपत्यथर्वशीर्ष ॥ ॥ शान्ति पाठ ॥ ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः । भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ॥ स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिः । व्यशेम देवहितं यदायुः ॥ ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ॥ स्वस्तिनस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ तन्मामवतु तद् वक्तारमवतु अवतु माम् अवतु वक्तारम् ॐ शांतिः । शांतिः ॥ शांतिः॥। ॥ उपनिषत् ॥ ॥हरिः ॐ नमस्ते गणपतये ॥ त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि। त्वमेव केवलं कर्ताऽसि। त्वमेव केवलं धर्ताऽसि। त्वमेव केवलं हर्ताऽसि। त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि। त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम् ॥ गणपति को नमस्कार है, तुम्हीं प्रत्यक्ष तत्त्व हो, तुम्हीं केवल कर्त्ता, तुम्हीं केवल धारणकर्ता और तुम्हीं केवल संहारकर्ता हो, तुम्हीं केवल समस्त विश्वरुप ब्रह्म हो और तुम्हीं साक्षात् नित्य आत्मा हो। ॥ स्वरूप तत्त्व ॥ ऋतं वच्मि (वदिष्यामि)॥ सत्यं वच्मि (वदिष्यामि)॥ यथार्थ कहता हूँ। सत्य कहता हूँ। अव त्वं माम् । अव वक्तारम् । अव श्रोतारम् । अव दातारम् । अव धातारम् । अवानूचानमव शिष्यम् । अव पश्चात्तात् । अव पुरस्तात् । अवोत्तरात्तात...

Rashi mantra

Tension free life

How to earn Punya

Maha Mrituyanjay dham

Promises of God

Do not keep Jhoothe bartan in Night

Top ten formulas for peace of Mind

Mandiron me Ghanti kyon bajate hai

Faimily problem solution mantra

Solution of Pret Badha from Vaidik solution

Bavasheer solution by Mantra

Solution of All problems

Naari Dosh

Daan

Aatmgyan quotes bhavarth by Acharya Divya Sri

बड़े बड़े लच्छेदार भाषण करना आगया तो क्या उसे आत्म-ज्ञान हो जाएगा ? धारा-प्रवाह प्रवचन देना आजाए तो क्या यह समझ लेना चाहिए की इनको आत्मज्ञान होगया? अरे साहब बड़ा नाम है इनका, क्या बोलते है वाह! क्या ज्ञान है! इनको , अरे जनता पागल हो जाती है इनके पीछे जब यह बोलते है,, ऐसी बोलने की कला बड़ी मेहनत से सीखी होगी इनहोने, इन पर तो भगवान की कृपा है तभी ऐसा प्रभाव सामने वाले पर पड़ता है की वो अंदर से हिल जाता है ..... मगर यह एक कला तो हो सकती है ये योग्यता तो हो सकती है ये मेहनत तो हो सकती है मगर यह आत्म-ज्ञान का पैमाना नहीं है। अब आइये बड़े बड़े मेधावान की बात करते है तर्क-वितर्क, ज्ञान-विज्ञान, हाजिर जबाबी ये सब तो आजाएगा मगर ये सोचा जाये की भई बड़ा बुद्धिमान है ये आत्म तत्व को तो जानता ही होगा ..... तो यह भी पैमाना गलत होगा । जिसने बहुत बहुत शास्त्र सुने है दसियों वर्ष हो गए तो भी आत्म ज्ञान प्राप्त हो यह जरूरी नहीं है आत्म-ज्ञान तो उसे प्राप्त होगा जिस पर प्रभु की कृपा होगी जिसे वो देना चाहेगा उसे मिलेगा यही अकाट्य सत्य है हम अपनी योग्यता के गर्व से भौतिक ऊंचाई तो प्राप्त कर सकते है मगर हम खुद क्य...

Viswas quotes by Acharya Divya Sri

विश्वास हमारे जीवन का एक ऐसा धरातल है जिसके आधार पर हम कर्म करते है कर्म करने पूर्व यदि विश्वास का अभाव होगा तो कर्म की पूर्णता मे संदेह उपस्थित होगा हम एक समय में अपने हृदय में एक ही चीज़ को रख सकते हैं या तो संदेह को या विश्वास को मनुष्य विश्वास रखकर ही आगे आ सकता है हम उन पर भी विश्वास करते हैं जिन्हें हमने आँखों से नहीं देखा है रखना पड़ता है हमारे अंदर एक विश्वास को मापने का पैमाना वो हमे इसके लिए विश्वस्त करता है निरंतर अभ्यास एवं पूर्ण विश्वास अपने लक्ष्य की प्राप्ति करता है इतना विश्वास रखो की यदि ईश्वर एक खिड़की बंद करेगा तो कोई न कोई द्वार अवश्य खोलेगा विश्वासी व्यक्ति चमत्कार देखता है विश्वास करामातों की करामात है इसके के लिए रचनात्मक कार्य , दृढ़विश्वास एवं ईश्वरप्रेम इन तीनों की आवश्यकता होती है विश्वासी की सदैव जीत होती है

Who can be your Friend

1. जो दूसरों के ऐब छुपाने वाला है ¡ 1.अहसान करके भूल जाने वाला हो¡ 3.अक्ल व हिक्मत की बातें सिखाने वाला हो ¡ 4.जो निस्वार्थ हो और सिर्फ भगवान के लिए दोस्ती रखता हो ¡ 5.जो कभी झुठ न बोलता हो और जो मां-बाप का आग्यांकारी हो ¡ ऐसे मित्र से हि मित्रता करना चाहिए ¡

Ten main parts of Sanatan Dharm

सनातन धर्म के ये दस अंग है जिनके विना धर्म अपूर्ण है... धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः । धीर्विद्या सत्यमक्रोधो , दशकं धर्म लक्षणम् ॥ ( मनु स्मृ्ति) 1. धृति = धैर्य , 2. क्षमा = दूसरों के द्वारा किये गये अपराध को माफ कर देना, क्षमाशील होना , 3. दम = अपनी वासनाओं पर नियन्त्रण करना , 4. अस्तेय = चोरी न करना, 5. पवित्रता = अन्दर बाहर की पवित्रता, 6. इन्द्रिय निग्रहः = इन्द्रियों को वश मे रखना, 7. धी = बुद्धिमत्ता का प्रयोग , 8. विद्या = अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा , 9.सत्य = मन वचन कर्म से सत्य का पालन 10अक्रोध = क्रोध न करना; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।

When you will get Married

Piece Song

Ninda

Age of Yug and Prithvi